अखंड भारत – देश और धर्म सर्वोपरि
यूनिफॉर्म सिविल कोड, भारत: सम्पूर्ण जानकारी
प्रिय पाठकों, आप अभी यूनिफॉर्म सिविल कोड, भारत: भाग 5 – क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड / समान नागरिक संहिता / एक देश-एक कानून / Uniform Civil Code / UCC? को पढ़ने जा रहे है। लेकिन क्या आप इसके पहले वाले भागों को पढ़ा है? यदि हां तो आप इसको अभी पढ़ सकते है और यदि आप भी तक नहीं पढ़े है तो नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक कर पहले वाले भागों को पढ़े।
परिचय- “समान नागरिक संहिता – भारत” फुल केस स्टडी
भाग 1- यूनिफॉर्म सिविल कोड, भारत: भाग 1 – अनुच्छेद 25, 32 और 44
भाग 2- यूनिफॉर्म सिविल कोड, भारत: भाग 2 – शाह बानो केस (1985)
भाग 3- यूनिफॉर्म सिविल कोड, भारत: भाग 3 – The Hindu Marriage Act, 1955 (हिन्दू विवाह अधिनियम)
भाग 4 – “समान नागरिक संहिता” के देश में आने और लागू होने के बाद क्या ये मामला भी कृषि कानूनों की तरह कोर्ट से स्टे ऑर्डर ले सकती है?
अब आप आज के इस लेख (भाग 5) को पढ़ सकते है।
अस्वीकरण
यह पूरा लेख विभिन्न सरकारी और समाचार पोर्टल स्रोतों से वास्तविक समाचार और जानकारी पर आधारित है। हमने यह विस्तृत लेख सिर्फ आपको विषय के बारे में सर्वोत्तम जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा है। हम आपको ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस लेख की शब्दों को हमने आम भाषा में लिखा है ताकि सभी को आसानी से मतलब समझ आ सके। अंत: ये मालूम हो कि हम (मैं या हमारी वेबसाइट) सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते हैं और हम सभी अपने महान देश (भारत) के संविधान का पालन करते हैं। इसलिए हम अपने सभी पाठकों से यह भी अनुरोध करते हैं कि इस प्लेटफॉर्म के किसी भी लेख की किसी भी शब्द अथवा पंक्ति को नकारात्मक तरीके से भी न लें।
एक देश-एक कानून – भारत
प्रिय पाठकों, आप अभी तक ये तो जरूर समझ गए होंगे कि क्या आखिर देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड का आना जरुरी है, है तो क्या ये संवैधानिक है, क्यों आने की बात उठी है, इसके आने के लिए क्या प्रावधान है और इसके आने पर क्या सब हो सकता है?
इन सारे सवालों का जवाब आपको हमारे इस टॉपिक के केस स्टडी के पिछले पांचों भागों में पढ़ने को मिल गया होगा। लेकिन इतना कुछ जानने के बाद आपको ये भी जानकारी होनी चाहिए कि आखिर –
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड / समान नागरिक संहिता / एक देश-एक कानून / Uniform Civil Code / UCC?
चलिए इसका जवाब आपको देते है अभी के अभी।
हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमारे पास भारत का एक अपना संविधान जिसके कानून आम तौर पर हम सभी के लिए एकबराबर लागू होते है। लेकिन आपको हमने भाग 3 में भी बताया था कि
- भारत में आपराधिक कानून (Criminal Laws) एक समान हैं और सभी पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे उनकी धार्मिक मान्यताएं कुछ भी हों, वहीं हमारे देश में नागरिक कानून (Civil Laws) आस्था से प्रभावित होते हैं। धार्मिक ग्रंथों से प्रभावित होकर दीवानी मामलों में लागू होने वाले व्यक्तिगत कानूनों को हमेशा संवैधानिक मानदंडों के अनुसार लागू किया गया है।
और यही कारण है कि हमारे देश में कभी हिन्दू पर्सनल लॉ था और आज भी मुस्लिम पर्सनल लॉ है जो खत्म होनी चाहिए थी बहुत पहले ही और जब भी विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों कोर्ट के सामने आते है तो धर्म, जाती, समुदाय, धार्मिक लॉ आदि को मानते हुए अलग अलग फैसले लिए जाते है जो कि ये सिद्ध करता है की ये कहीं न कहीं किसी एक व्यक्ति, दल, समुदाय के लिए एक बराबर का न्याय नहीं हुआ है या हो पा रहा है।
एक उदाहरण देकर बताए तो अगर कोई ट्रिपल तलाक से तलाक दे दे तो शाह बानो जैसा केस बन सकता है और जब किसी को सही तरीके से भी तलाक लेनी होती है, तो वहां भी फैसले लेने के अलग आधार के साथ साथ अलग अलग कानूनों है। हालांकि भारत में ट्रिपल तलाक वाली सोच और मान्यता को मोदी सरकार ने कानून बनाकर खत्म कर दिया है।
तो ऐसे सारे मामलों पर एक बराबर (चाहे उनकी धार्मिक मान्यताएं कुछ भी हों) फैसले लेने के लिए लिए क्यों नहीं हो एक देश-एक कानून? जब देश एक है, जिसका नाम है भारत और जिसके पास अपनी खुद की पहचान और सबसे मजबूत संविधान भी है, तो इस संविधान में एक कानून ऐसा भी क्यों न हो जो की धर्मनिरपेक्षता को कायम रखते हुए सभी धार्मिक समुदायों पर बिना किसी भेदभाव या बचाव के पुरी तरह लागू हो।
भारत में इस कानून बनाने की मांग और जरूरत
⭐⭐ और इसीलिए यह एक दम जरूर है की भारत में समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने वाली कानून जल्द से जल्द बनकर लागू हो।
रंजीत जायसवाल
आसान भाषा में समान नागरिक संहिता – भारत
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) भारत के लिए एक कानून बनाने का आह्वान करती है, जो विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर उनके धर्म, लिंग, लिंग और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना लागू होगा। संहिता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 के अंतर्गत आती है, जो यह बताती है कि राज्य (केंद्र सरकार/संसद) भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात
जैसे भारतीयों की धार्मिक मान्यताएं कुछ भी हों, भारत में आपराधिक कानून (Criminal Laws) एक समान हैं और सभी पर समान रूप से लागू होते हैं वैसे ही इस कानून के आने के बाद भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने के लिए देश के नागरिक कानून (Civil Laws) भी सभी पर समान रूप से लागू होंगे।
अभी पढ़े; भाग 6 – भारत में कब तक आएगा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून?