R.Bharat 🇮🇳
नमस्कार.
आज के इस स्पेशल आर्टिकल में हम पढ़ेंगे कि आखिर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता गई तो क्यों गई और आगे 6 और साल तक वो कोई भी चुनाव देश में क्यों नहीं लड़ सकते?
‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामला क्या है?
दरअसल, साल 2019 लोकसभा चुनाव के वक़्त कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था, कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है? इसी मामले को लेकर बीजेपी विधायक व गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. अब कोर्ट केस बन गया और यह मामला सूरत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में चलता रहा.
मामले में क्या आया फैसला?
राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने 23 मार्च 2023 यानि कि गुरुवार को ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में 2 साल की सजा सुनाई, लेकिन इसके तुरंत बाद ही उन्हें जमानत मिल गई।
फिर भी राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता कैसे गई?
इसके लिए आपको हमारे संविधान के लोक प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 वाली कानून को जानना होगा जो कि ऐसे केस के फैसलों पर अपना पक्ष रखती है. और इसी कानून के तहत राहुल गांधी पर ये संवैधानिक फैसला लिया गया है.
क्या है लोक प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 कानून?
आपको जानकारी हो कि लोक प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 कानून में अयोग्यता के संबंध में प्रावधान है. आरपी अधिनियम की धारा 8 (3) में कहा गया है कि किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई जाने पर सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा.
- इसके अलावा, व्यक्ति अपनी सजा काटने के बाद 6 साल की अवधि के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
और इसी अधिनियम के तहत लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी को सांसद के तौर अयोग्य ठहराया है. और इसका मतलब ये भी हुआ कि उन्हें कुल 8 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं रहेंगे.
राहुल गांधी के पास अब क्या क्या विकल्प ?
न्यूज एजेंसी आज तक की एक रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है. हालांकि, राहुल को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है. इसके लिए राहुल गांधी के याचिका पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सजा पर रोक भी लगा देती है, तब भी उनकी सदस्यता बहाल नहीं होगी. दरअसल, इसके लिए राहुल गांधी के दोषी पाए जाने पर भी रोक जरूरी है.
और अगर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट राहुल के दोषी पाए जाने पर रोक नहीं लगाता है तो वे 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. यानी कि फिर राहुल गांधी 2024 का चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे.