R.Bharat 🇮🇳
भारत
हमारा भारत आजाद तो वर्ष 1947 में ही हो गया था लेकिन भारत के लगभग हर कोने में अभी भी गुलामी के अवशेष किसी न किसी रूप में बाकी है।
गुलामी की सोच से मुक्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि ‘गुलामी का एक भी अंश हमारे मन में नहीं रहना चाहिए। अगर ऐसा है, तो हमें इसे उखाड़ फेंकना होगा। गुलामी की सोच किसी भी देश को दीमक की तरह धीरे-धीरे खाती है। जिसका पता बरसों बाद चलता है। इस सोच ने कई विकृतियां पैदा की हैं। तो, गुलामी की सोच से मुक्ति पानी ही होगी।
उनके इसी सोच को अमल में लाते हुए कल केंद्र सरकार ने महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की ग्रेनाइट से बनी भव्य प्रतिमा को इंडिया गेट पर स्थापित करने का काम किया।
नए भारत में नेता जी को सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र ने गुरुवार (08 सितंबर 2022) को इंडिया गेट के पास स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया।
आपको बता दे कि स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस भव्य प्रतिमा को तेलंगाना की एक खदान से निकाले गए 280 मीट्रिक टन वजन के काले रंग के ग्रेनाइट के एक विशाल पत्थर से तैयार किया गया है। नेताजी की 28 फुट ऊंची यह प्रतिमा इंडिया गेट समीप स्थापित की गई है। यह प्रतिमा नेताजी के प्रति भारत के ऋणी होने का प्रतीक है।
मालूम हो कि इसी वर्ष 23 जनवरी को जब पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा था, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका होलोग्राम वाली प्रतिमा का लोकार्पण किया था।
देश को गौरवंभित करने वाला ‘कर्तव्य पथ’
दशकों से भारत का वो रास्ता या पथ जहां हर साल गणतंत्र दिवस पर परेड निकलती है, और पहले जिसे आप राजपथ के नाम से जानते थे, उसका नाम अब से बदल गया है और इस पूरे पथ और क्षेत्र की विकास की यह पहली परियोजना है, जो मोदी सरकार की 13,450 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत पूरी हुई है।
कल (08 सितंबर 2022) ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यू दिल्ली के इंडिया गेट पर ‘कर्तव्य पथ’ का उद्घाटन किया।
कर्तव्य पथ का इतिहास
देश को गौरवंभित करने वाला ‘कर्तव्य पथ’ का इतिहास यहां से पढ़े;
कर्तव्य पथ की एक्सक्लूसिव तस्वीरें
पहले भी गुलामी की इस याद से मिला था मुक्ति
इससे पहले भी, 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नैशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नैशनल वॉर मेमोरियल) उन सैनिकों और गुमनाम बहादुर जवानों की याद में बनाया गया था जिन्होंने 1971, उसके पहले और बाद के युद्धों सहित बाकी जंगों में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थीं। और इसी ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ के दीवारों पर शहीद हुए भारतीय सैनिकों के नाम हैं।
और फिर आगे शुक्रवार (21-Jan-2022) को अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा नैशनल वॉर मेमोरियल ले जाया गया और वहां के जल रहे लौ में दोनों लौ का विलय कराया गया। और तब से नए भारत के सम्मान का सूचक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (National War Memorial) पर अमर जवान ज्योति का लौ जल रही है। तब भी गुलामी की याद मिटाते हुए शहीदों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि देने वाला स्वतंत्र और समर्थ भारत का भी प्रतिक ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ को देशहित में सौंपा गया था।
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स्वतंत्र और समर्थ भारत का भी प्रतिक ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’