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“प्रलय” भारत की विकास
‘प्रलय’ मिसाइल, रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक भारतीय मिसाइल, 350-500 किमी कम दूरी की, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है जिसकी पेलोड क्षमता 500-1,000 किलोग्राम है। – Ranjeet Jaiswal
क्या है ‘प्रलय’ मिसाइल?
‘प्रलय’, भारतीय रक्षा अनुसंधान विकास संगठन यानी DRDO के द्वारा विकसित जमीन से जमीन पर मार करने के लिए बनाई गई एक स्वदेशी और अत्याधुनिक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (Short Range Ballistic Missile) है. डीआरडीओ ने इसे पृथ्वी मिसाइल प्रणाली (Prithvi Missile Sytem) पर बनाया है. इस मिसाइल की रेंज 150 से 500 किलोमीटर है.
यह मिसाइल 5 टन वजनी है. इसमें 500 से 1000 किलोग्राम तक के पांरपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं. यह इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है. सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है. इस मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी सरकार या डीआरडीओ द्वारा शेयर नहीं की गई है. चुंकि यह पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर बनी है, तो आपको बता दें कि यह भारत की तीन शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक से मिलकर बन सकती है. ये हैं – प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 मिसाइल.
DRDO द्वारा विकसित यह ठोस-ईंधन, बैटलफील्ड मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के पृथ्वी डिफेंस व्हीकल पर आधारित है।
टारगेट की सटीकता 33 फीट, इस दायरे में जो आया वो खत्म
प्रलय (Pralay) मिसाइल की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है. इसका मतलब ये है कि अगर टारगेट से 33 फीट के दायरे में यह मिसाइल गिरती है, तो भी उतना ही नुकसान करेगी, जितना सटीक निशाने पर गिरती तो करती. छोटी दूरी होने का फायदा ये है कि इसे आप देश की पश्चिमी या पूर्वी या उत्तरी सीमा पर तैनात करके दागते हैं तो सिर्फ वहीं इलाका नष्ट होगा, जितने की आपको जरूरत है. बेवजह का नुकसान नहीं होगा.
सफल टेस्ट के 24 घंटे के अंदर ही प्रलय मिसाइल को दोबारा क्यों परखी गई?
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 घंटे में छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय (Pralay) का दूसरी बार सफल परीक्षण किया है. इसके पहले 22 दिसंबर 2021 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से पहला सफल परीक्षण किया गया था.
पहला सफल परीक्षण : 01:54 PM (22-Dec-2021)
दूसरी सफल परीक्षण : 01:18 PM (23-Dec-2021)
Note: हमारे तरफ से बताए गए दोनों समय डीआरडीओ के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर दोनों लॉन्च की पुष्टि करने वाले ट्वीट्स की टाइम है।
परीक्षण को लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बताया कि पहली बार लगातार दो दिन, बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया। टेस्टिंग के दौरान मिसाइल ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया। यहां तक कि DRDO ने अपने ट्वीट में भी इस बात की जानकारी दी है।
प्रलय मिसाइल के एक से अधिक बार सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण को आप ऐसे समझ सकते है: चुंकि इस मिसाइल की रेंज 150 से 500 किलोमीटर है. इसलिए इसके कई परीक्षण होने हैं. अलग-अलग रेंज पर परीक्षण किए जा सकते हैं. दूसरा परीक्षण भी इसके रेंज की सटीकता को जांचने के लिए किया गया है. दोनों ही परीक्षणों के दौरान मिसाइल ने सभी तय मानकों को पूरा किया.
प्रलय मिसाइल के कुछ और जानकारियां
प्रलय (Pralay) मिसाइल को विकसित करने की अनुमति मार्च 2015 में दी गई थी. तब इसके लिए 332.88 करोड़ रुपये का बजट सेंक्शन किया गया था. इसे लॉन्च करने के लिए 8X8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर का उपयोग किया जाता है. ये सारी मिसाइलें भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा है.