R.Education
हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध त्योहार ‘धनतेरस’
आज विश्व की सबसे बड़ी और हमारी अपनी हिन्दू धर्म का एक और खास दिन है। दीपावली पर्व के दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। और इस साल यह शुभ दिवस आज है। परसो यानी की 4 नवंबर को दीपावली है।
शुभ ‘धनतेरस’ की हार्दिक शुभकामनाएं
SRNewsGRoup और पूरी Ranjeetians Team की ओर से विश्व भर के समस्त हिंदु समाज को धनतेरस के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि भगवान धन्वंतरि हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि व उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।
क्या है ‘धनत्रयोदशी’? जानें ये दिन (धनतेरस) क्यों है खास?
धनतेरस हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है. यह पर्व दीपावली के दो दिन पहले मनाया जाता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि (13वें दिन) के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था. इस कारण इस तिथि को ‘धनतेरस’ या ‘धनत्रयोदशी’ के नाम से भी जाना जाता है।
‘धनतेरस’ के दिन भूलवश भी न करें ये 2 गलतियां
1- उधार देने या लेने की गलती न करे
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि धनतेरस का दिन समृद्धि का दिन माना जाता है. इसलिए इस दिन उधार देने और लेने, दोनों को ही अशुभ माना जाता है क्योंकि न तो उधार देने वाला फल फूल पाता है और न ही लेने वाला. मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं. ऐसे में व्यक्ति को तमाम आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ती है. घर में हमेशा धन अपर्याप्त रहता है जिसके कारण परिवार में अन्य परेशानियां भी उत्पन्न हो जाती हैं. इसलिए धनतेरस पर उधार देने और लेने का काम कभी नहीं करना चाहिए.
2- इन चीजों को खरीदने से करें
धनतेरस के दिन कुछ लोग स्टील के बर्तन खरीदकर लाते हैं, लेकिन ज्योतिषाचार्य का कहना है कि स्टील के बर्तनों को नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि इसमें भी लोहे का ही अंश होता है. लोहे का संबन्ध शनि से होता है. अगर आपको बर्तन खरीदने ही हैं, तो पीतल के बर्तन लें. साथ ही बर्तन को चावल या किसी मीठी चीज से भरकर घर में लेकर आएं. ऐसा करने से परिवार में समृद्धि आती है. इसके अलावा धनतेरस के दिन चाकू, कैंची आदि नुकीली वस्तु, कांच के बर्तन, तांबा, चमड़ा या फिर कोई काले रंग की वस्तु भी नहीं नहीं खरीदना चाहिए. माना जाता है कि इस शुभ दिन पर इन चीजों को खरीदने से परिवार में परेशानियां और क्लेश बढ़ता है. पारिवारिक संबन्ध खराब होते हैं.
अस्वीकरण
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.