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सवाल तो एकदम जायज है जी, कि लड़के करें 21 की उम्र में शादी फिर लड़की की शादी 18 साल में ही क्यों? नए भारतवर्ष में सबसे के लिए एक बार हक और मौका क्यों नहीं हो?
रंजीत जायसवाल
किस आधर पर होंगे ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ के कानून?
भारत सरकार ने देश में ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ को लेकर आई है। केंद्र सरकार के केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कल मंगलवार (21-Dec-2021) को लोकसभा में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। इस विधेयक में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रावधान है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में इससे संबंधित प्लान की घोषणा की थी।
सभी धर्मों के वर्तमान के कितने कानूनों में होंगे बदलाव?
आपको बता दे कि हमारे देश में 1978 में शादी की उम्र 15 साल से बढ़ाकर 18 साल की गई थी। अब फिर भारत सरकार ने इसको बदलने के लिए ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006’ में संशोधन का कानून लाएगी और इसके साथ ही ‘स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ जैसे हिंदू मैरिज एक्ट 1955’ में भी संशोधन करने का सोचा है।
जानकारी हो कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के सेक्शन 5 (3) के तहत दुलहन की उम्र 18 और दूल्हे की उम्र 21 साल निर्धारित की गई है।
लड़कियों की शादी की उम्र बढाने से जुड़े बिल का नाम ‘बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021’ (The ‘Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021) है. इसके ज़रिए बाल विवाह अधिनियम, 2006 (Child Marriage Act, 2006) में बदलाव किया जाएगा.
इसी बिल के ज़रिए भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 (Indian Christian Marriage Act, 1872), पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937, विशेष विवाह अधिनियम, 1954, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 में भी बदलाव किए जाएंगे.
केंद्र की टास्क फोर्स ने की थी इस कानून को लाने की सिफारिश
केंदीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से जून 2020 में बनाई गई टास्क फोर्स में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल भी शामिल थे। जया जेटली की अध्यक्षता में बनी केंद्र की टास्क फोर्स द्वारा दिसंबर 2020 में नीति आयोग से इसकी सिफारिश की गई।
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लड़कियों की भी शादी की उम्र 21 ही हों, ऐसी क्यों है जरूरत?
टास्क फोर्स ने मां बनने की उम्र से संबंधित समस्याएं, मातृ मृत्यु दर (MMR) को कम करने, पोषण स्तर में सुधार और संबंधित मुद्दों की जांच करने के बाद ही इसकी सिफारिश की है।
टास्क फोर्स ने आगे सुझाव में यह भी कहा कि समाज के इस फैसले को स्वीकार करने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया जाए। यह भी कहा गया है कि स्कूल और विश्वविद्यालय तक लड़कियों की पहुंच होनी चाहिए। दूरदराज के इलाकों में शिक्षण संस्थान होने पर परिवहन की भी व्यवस्था की जाए।
सेक्स एजुकेशन देने की बात!
सिफारिश की गई है कि सेक्स एजुकेशन भी होना चाहिए और उसे स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। महिलाओं के सशक्तीकरण पर जोर दिया गया है।
जैसे जैसे भारत विकास पथ पर बढ़ता गया, महिलाओं के लिए शिक्षा और करियर के रास्ते भी खुलते गए। अब अब लड़कों के बराबर हक लड़कियों को भी मिलने लगे है देश में। उन्हें भी आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलने लगा है और ये हमारे देश और हमारी बेटियों की सौभाग्य है।
और अब जब लड़की आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनती है तो माता-पिता भी उसकी जल्दी शादी करने से पहले दो बार सोचेंगे।